Tuesday, July 28, 2015

सच्ची श्रद्धा


मंदिर में भगवान के आगे तरह तरह की मिठाइयों का भोग सज गया।  घर के छोटे बेटे, अंशु के चाचू की नौकरी लगी है उसी के धन्यवाद ज्ञापन के लिये पूरा परिवार सुबह से मंदिर में था। नन्हा अंशु सुबह से मिठाई खाने को मचल रहा था ,'दादी ने समझाया पहले पूजा होगी फिर भगवान खाएँगे फिर अंशु को मिलेगी। ' 
अंशु बेसब्री से पूजा पूरी होने का इंतज़ार कर रहा था। पूजा के बाद भोग के लिये आव्हान करने के लिये सभी आँखें बंद किये बैठे थे। सभी के मन में अलग अलग भाव और विचार चल रहे थे।  दादी हिसाब लगा रही थीं रिश्तेदारों पड़ोसियों में बाँटने में कितनी मिठाई लग जाएगी तो मम्मी को चिंता थी बाहर नये चप्पल जूते रखे हैं कोई उठा ना ले जाये।  अंशु के पापा सोच रहे थे आधे घंटे में फ्री होकर टाइम से ऑफिस पहुँच जाऊँगा तो दादाजी पंडित जी को कितनी दक्षिणा देना है उसके हिसाब में लगे थे। चाचा नई नौकरी के ख्यालों में खोये थे।  सभी की आँखें बंद थीं सिर्फ अंशु पूरी ताकत से मींची आँखों को बार बार खोल कर देख रहा था कि भगवान ने मिठाई खाई या नहीं ? 
कविता वर्मा 

3 comments:

  1. अपनी अपनी सोच ... पर पूजा कहाँ गयी इन सब में ... आस्था कहाँ गयी .. अच्छी कहानी ...

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  2. बस ऐसी ही है आज की पूजा.

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